इसके कारणों को सैद्धांतिक धरातल पर नहीं, शुद्ध व्यावहारिक स्तर पर आकर सोचना आज अनिवार्य हो रहा है।
2.
यदि बृहस्पति हो तो जातक अत्यन्त मेधावी, गम्भीर, गुणज्ञ, शुद्ध व्यावहारिक, धनी एवं मानी और राजा से सम्मानित होता है।
3.
मानवजाति के इतिहास के आरंभिक दौर में लोग अपनी समस्या को शुद्ध व्यावहारिक (practical) आधार पर हल किया करते थे, सैद्धांतिक (theoretical) सक्रियता का जन्म बाद में जाकर हुआ।